प्रतिनिधि (रामजी साह)
रामगढ:झारखंड में पंचायती राज्य बहाल होने के बाबजूद भी सरजमीं में कुछ और ही बयां कर रही है।जिस पंचायत भवन से वित्त आयोग के राशि से पुरे पंचायतों में गांवो में विकास कार्य संचालित होती है । उक्त पंचायत भवन में पंचायत सचिव,से लेकर जिले के बड़े पदाधिकारी भी बराबर पंचायत भवन पहुंचते हैं और पंचायत भवन में बैठकर सरकारी क्रमियों से बैठक करते हैं
लेकिन किसी पदाधिकारी को ध्यान पंचायत भवन के बदहाली की और ध्यान नहीं जा रहा है। गंगवारा पंचायत भवन निर्माण के 12 बर्षो से भवन की रंगाई पुताई नहीं किया गया है । जबकि कोरोना काल के बाद से भवन का रंग रोगन करना था लेकिन सरकारी बाबुओं की उपेक्षा का शिकार गंगवारा पंचायत भवन में रंगरोगन के अलावा कई बर्षो से बोरिंग किया गया चापानल खराब पड़ा हुआ है
जिसके कारणों पंचायत भवन आने वाले लोगों को पेयजल की घोर समस्याओं से जुझना पड़ता है जिसे देखने वाला कोई नहीं है। सरकारी बाबु तो मिनरल्स वाटर से अपनी प्यास बुझा लेते हैं लेकिन पंचायत आनेवाले लोगों को चापानल का पानी भी नसीब नहीं है।
जबकि बर्ष 2023 में चापानल मरम्मती के नाम पर लाखों रुपये की निकासी हो चुकी हे लेकिन जब पंचायत भवन का चापानल मरम्मती नहीं हुआ तो पंचायत में किन किन गांवों में चापानल मरम्मती हुआ है या नहीं यह जांच का बिषय है। वहीं पंचायत भवन में पान पुड़िया की पींग से पंचायत भवन का भीतरी दीवारों तथा बाहर के पंचायत भवन के तशवीर को देखकर पता चल रहा है कि पंचायत भवन में उपेक्षा का शिकार है।
जबकी प्रख़ंड में अन्य सरकारी भवन का रंगरोगन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है लेकिन पंचायती राज्य ब्यवस्था का सबसे बड़ा पंचायत सचीवालय गंगवारा का हाल आज बदहाल है।
यहां बता दें कि गंगवारा, पहाड़पुर के अलावा कई पंचायत भवन ऐसे हैं जो पंचायत भवन निर्माण के बाद आज तक रंगरोगन नहीं किया गया है।इस मामले में मनरेगा बीपीओ सीताराम मुर्मू ने बताया कि जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बहरहाल प्रख़ंड के कई पंचायत भवन में रंगरोगन तथा पेयजल समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं के अभाव से पंचायत भवन गंगवारा का हाल बेहाल है।